Author, Writer, Lyricist. Student of Computer science Burhanpur Madhya Pradesh
Share with friendsभुल गई है.... ऋतुएँ अपने महीनों को, अब बरसात किसी भी मौसम में आ जाती है.... फैल रहा है चारों तरफ़ अधर्म का माया जाल, इंसानियत भी अब इंसान पर रो जाती है.... आरती सिरसाट
ममता की मुरत है....! प्यारी सी जिसकी सुरत है....!! पल पल रहती जिसकी जरूरत है....!!! माँ से ही तो दुनिया ये इतनी खूबसूरत है....!!!! कुमारी आरती सिरसाट
जिन्दगी हमारी जान लेने पर अड़ी थी...! जब देखा दो कदम चलकर, मंजिल तो रास्ते में ही पड़ी थी...!! ...आरती सिरसाट