Parvesh Kumar
Literary Lieutenant
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एक ऑटो मेकेनिक हूँ, बिगड़ी को बनाना ही मेरा धर्म है, कभी कभी थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ!🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏

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अपने साये पर भी अब तो शक होने लगा है!कुछ इस तरह से गुज़रा हूँ, दौर ऐ बेवफाई से!! "प्रवेश"

मुक़्क़र्र खुद को ही सजा की तुमने, ये कहाँ जायज़ था! आख़िर, हम भी तो गुनहगार थे, तेरे इश्क़ में! " प्रवेश "

मुझे जी लेने दो, झूठ के भ्रम में यारों, सच में तो अपनों की, हकीकत नज़र आती है ! " प्रवेश "

कैसे शामिल होता, मैं खुशियों में तुम्हारी, तेरे दिए गम से ही, मुझे फुरसत नहीं मिलती ! " प्रवेश "

"रावण की इच्छा" कभी अपनी बुराइयों को भी जलाया होता, मुझे हर बरस जलाने वालों ! " प्रवेश "

कभी जिन्दा थे, तो वो रखते थे, दिल में बसाकर, आज मर गए तो, घर में रखना भी गवाँरा नहीं समझा ! " प्रवेश "

आज जी भर के बरस, ऐ -आसमाँ, कि, मेरी बेबसी पर, ज़रा तू भी तो रो के देख ! " प्रवेश "

लाचार किसान का, धड़कता है कलेजा, तू जब भी बरसता है, बेवक़्त ऊपर वाले ! " प्रवेश "

फ़िरता हूँ बेख़बर, जिंदगी की जद्दोजहद में, जाँच लेता हूँ खैरियत अपनी, उसकी मुस्कान देखकर ! " प्रवेश "


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