Abhishek Pandey
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2020,2021 - NOMINEE

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मेरी सरलता ही मेरी जटिलता है, मैं हर संदर्भ में एक अपवाद हूँ।

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कट-कट कर गिर रहे हैं अंगूठे साथ ही कट कर गिरता है भविष्य आज कोई द्रोण नहीं एकलव्य ही काटता है दूसरे एकलव्य को आरक्षण से। मिटती हैं सड़ी-गली परम्पराएं पर सत्य और न्याय भी मिटता है क्या? एकलव्य का अंगूठा अखरता है! सवर्णों का अंगूठा जँचता है क्या? -अभिषेक पाण्डेय

बिन कहे ही वफ़ा करती है.. हर छोटी बातों पे लड़ा करती है। क्या लिखूं! क्या पाया नहीं मैंने एक उदास चेहरे को जैसे मुस्कान मिलती है..! -अभिषेक पाण्डेय


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