शिक्षक,लेखक,कवि,सामाजिक चिंतक, पर्यावरणविद
Share with friendsवो बात करने से अब कतराने लगा है, आंख मिला कर नज़रे चुराने लगा है, उसके दिल में शायद किसी और ने दस्तक दे दी, इसलिए वो मुझसे मिलने से भी घबराने लगा है।
परख न थी मुझे लोगों की, मुस्कराहट पे उनके यकीं कर बैठा, मतलबी,स्वार्थी चेहरों पर अपना दिल साझा कर बैठा।
उसकी मुस्कराहट के दीवाने थे कभी हम, आज ये सोच के हम हंस देते हैं। नींदों में ना जाने क्यूं मेरे ब्रेक सा लग गया, जब से मुझे उनसे थोड़ा सा इश्क हो गया। दिल में तूफ़ान दिमाग में हलचल सी है, पता नहीं हमे कहां जाना था और हम कहां पहुंच गए। बेवजह तो ना था तुमसे यूं मिलना, गुजरे पलों का हिसाब जो बाकी था तुमसे। खुद को मुझसे कभी दूर ना करना, तेरे कांधे की जरूरत उम्र भर रहेगी मुझे।