Mahavir Uttranchali
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सबका खेवनहार है, एक वही मल्लाह हिन्दी में भगवान है, अरबी में अल्लाह अरबी में अल्लाह, रंग अनेक हैं उसके उसके सारे स्थान, ढंग अनेक हैं उसके महावीर कविराय, न कोई कुनबा-तबका बीच घिरे मझधार, नाखुदा है वो सबका •••

ज़िंदगी तुझको नहीं है उस्तवारी हाय-हाय मौत का मातम हुआ है ग़मगुसारी हाय-हाय रात सरहद पर चली थी गोलियाँ फिर दोस्तो आ पड़ा है देश पर फिर वक़्त भारी हाय-हाय —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // लक्ष्य कठिन पर दुख नहीं, चले चलो दिनरात कोरोना व्यापक सही, देंगे उसको मात —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // मोदी जी का भाव यह, दीपों का उपहार आशाओं की ज्योति से, कोरोना की हार —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // कोरोना से मुक्त हो, अपना भारतवर्ष दीपों की जगमग कहे, जीवन में हो हर्ष —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // हीरा'बा तू धन्य है, जन्मा 'मोदी' लाल ऊंचा भारतवर्ष का, जिसके कारण भाल —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // अन्धकार का नाश हो, यह प्रकाश की जीत कोरोना के मध्य यूँ, गा खुशियों के गीत —महावीर उत्तरांचली

// दोहा // आशाओं के दीप से, मिटे निराशा भाव मोदी का मक़सद यही, भरे मानसिक घाव —महावीर उत्तरांचली

पागलखाने जाइये, होगा सबको हर्ष 'अप्रैल माह' आगरा, जाओ नूतन वर्ष ••• "शिरोमणि" —महावीर उत्तरांचली


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