@dr-pratik-prabhakar

Dr.Pratik Prabhakar
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2019,2021 - NOMINEE

244
Posts
137
Followers
5
Following

मैं एक चिकित्सक हूँ। साहित्य की हर विधाओं में लिखता हूँ। आपके स्नेह का आकांक्षी हूँ।

Share with friends

कौन सी उम्मीद लगायी जाये अब किसकी दीद करायी जाये।। हम दिल में ही भरते सब घुटके हमें उसकी याद न दिलायी जाये।।

साथ तेरे हर पल को गवाएँ कैसे कह अलविदा दूर तुमसे जाएँ कैसे तुम ओढ़े मायूसी की चादर प्रिये तो बता फिर हम मुस्कुराए कैसे??

ज़ाहिर-ए- इश्क़ कर सजा क्यूँ पाना। क्या अरमां- ए- दिल कभी न जताना??

तलब-ए-आराम गुनाह है मान लो वक्त कल था,आज भी है जान लो मिलता सब जहाँ में कभी न कभी पर मिले कैसे ये राहें पहचान लो।

वक्त सबका आता है। देर बस पहचानने में होती है।

चलो साथियों हिन्द पर जान लुटाया जाए चलो हिंदी लोगों का अरमां कमाया जाए कायर नहीं जो पीठ करें युद्ध में कभी भी हिन्द की शान में सिर काटा-कटाया जाए।।

बारिश के समय मिट्टी की ख़ुशबू जो छा जाती है, मानो हमें अपनी सुगंध के संग गुमा ले जाती है।

सभी को निकलना ही है अंतिम यात्रा पर, क्यों न पहले उससे ज़िंदगी जी ली जाए।।

हर किसी को निकलना ही है आख़िर में यात्रा पर, उससे पहले जितना जिंदगी देती है वो हासिल करें।


Feed

Library

Write

Notification
Profile