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तुझ संग प्रीत निभाई मैंने तेरे इश्क़ की चुनर सजाई मैने करूं सजदा तेरे दर पे आके अंखियों की प्यास बुझाई मैंने ! ©️हरमिंदर कौर
सौदे प्यार में तो ना थे कभी मुमकिन मगर मर्यादाओं से गुफ़्तगू ने मात दे दी!
उलझे हैं बेमौसम हम, चंद सवालों में कहीं आकर बरसादो प्रेम, के गुम हैं बादल कहीं!
औरत को ठहराव चाहिए पुरुष को बहाव चाहिए दोनो पूरक इक दूजे के तब भी बदलाव चाहिए !