Neelam Arora
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खर्ची में मिला था दो दिन का रुपया! मैं यादों का मेला खरीद लाया! चार आने की स्वप्न निद्रा, चार आने में खेला खाया ! चार आने में मीत मिले, चार आने में तुमको पाया!

ज़िन्दगी कुछ इस तरह बसर हुई,, कोई कसर भी ना रही मगर मुकम्मल भी ना हुई!!!!

"इश्क़" ज़िन्दगी की पगडंडियों पर पांव छिलते हैं, कांटों का क्या गिला करता ! किसी साहिर के इश्क़ में दीवानी हर अमृता को, इमरोज़ नहीं मिला करता !!


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