Satyawati Maurya
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हिन्दी भाषा से प्रेम और अपने तथा दूसरों के दर्द ने लेखन और पठन की प्रेरणा दी ।

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जग में माँ ईश्वर से अधिक बलशाली है ।वह अपने बच्चों की नज़र उतार कर बड़ी -बड़ी बालाओं से बचा लेती है।

बैरी चाँद नींदें चुरा ले गया, बेक़रारी की मुझको अमा दे गया। * सत्यवती मौर्य

** निशा बनती संगिनी मेरी दुःख में मन सम्भलता कि चाँद बैरी निकल आया पूनों का। ** मिलन की रात जब आई चली ख़ूब पुरवाई।बादलों ने भी घेरा डाला ,बैरी चन्दा भी मुख मोड़ गया। ** दिल में उम्मीद का दिया जलाए हैं बैठे। दूज का चाँद बैरी -सा आया और तुरंत लुप्त हो गया। **सत्यवती मौर्य

करनी का फल है कि आज बेटों से कन्याएँ ब्याहने को नहीं हैं। संतुलन बनाने को पृथ्वी पर,बेटे की तरह बेटियां भी ज़रूरी है। *सत्यवती मौर्य

हौसले रख कर चलने वाला हर बार हार कर फिर कोशिशों में लग जाये तो सुबह का भूला नहीं कहाता

अपने अहम पर सोचने को मजबूर करती है लालबत्ती। ज़िन्दगी की तस्वीर दिखता आईना है लालबत्ती।

साथी ,जीवनसाथी वो जो जीवन के ऊंचे नीचे रास्तों पर हर समय साथ दे और इंसान के रूप में एक दूसरे के जीवन में रहने का सम्मान करें।

नदिया में जल है ,तो जीवन है जल बिन ये जीवन निर्धन है। *सत्यवती मौर्य

झुका सर मेरा जिसके के सामने, वही नाख़ुदा अब मेरा नहीं है। *सत्यवती मौर्य


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