Bhavna Thaker
Literary General
AUTHOR OF THE YEAR 2020,2021 - WINNER

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नयी उभरती लेखक हूँ

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भूतकाल को बिना पछतावा किए भूल जाओ, वर्तमान को आत्मविश्वास के साथ जीओ, और भविष्य का बिना डरे स्वागत करो।भावु

जिन्होंने हमारी परवरिश और परवाह की है उनकी परवाह करना उनके प्रति सर्वोच्च सम्मान होगा।भावु

चंचल इन्द्रियों को काबू में रखने का हुनर सिख लो ज़िंदगी आसान बन जाएगी। #भावु

तौहीन है हुश्न बेनज़िर की मखमली माहताब को क्या दें कोई गुलाब आज देखकर जिसे दिल हो उठे बाग बाग

मेरी सोच की सीमा के इस पार भी तू उस पार भी तू इश्क में आलस कैसी जब दिल में भी तू मन में भी तू रूह में भी तू ये जादू है इश्क का भावु।

रखा था जब हाथ तेरी हथेलियों पर पूरा ब्रह्मांड रचा लिया था अपना एक जन्म से क्या होगा सदियों का सफ़र मांगा था इश्क में इतना हक तो जायज़ है भावु।

तुम्हारे इश्क की छाँव में रहने दो मुझे दिल के अहसास आज कहने दो मंज़िल का पता नहीं अन्जान सफ़र है तुम्हारे कदमों की चाप पे ताउम्र चलने दो मुझे हाँ यही तो इश्क है भावु।

साँसों की लय पर धड़कन को महसूसना कदमों के चंद फासलों पर जिस्म की खुशबू की पहचान प्रेम का आधार बिन देखे, बिन छूए रूह की कशिश से एक दूसरे को महसूसते रहना।


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