खुशियों की फुलझड़ी छोड़ना अच्छा लगता है प्यार बिछाना प्यार ओढ़ना अच्छा लगता है।। सब एक ही रब के बंदे सबको शीश झुकाती हूँ हाथ मिलाना हाथ जोड़ना अच्छा लगता है।। ©अनन्या राय पराशर
: मैं डरी मैं रोई मैं चीखी मैं चिल्लाई लेक़िन कभी पीछे नहीं हटी क्योंकि हार मान लेना कोई ऑप्शन नहीं होता । ©अनन्या राय पराशर
मन का उधड़ा वसन है सिलेगा नहीं फूल उपवन मे कोई खिलेगा नहीं यूँ तो मुझसे भी बेहतर मिलेंगे मगर मेरा पर्याय तुमको मिलेगा नहीं..!! अनन्या राय पराशर
मुस्कानों से इन अधरो की अनबन होना बाकी है सांझ ढली तो बुझा बुझा घायल मन होना बाकी है अभी अभी दो आंसू टपके है मेरी इन आंखो से अभी तुम्हारी यादों का सम्मेलन होना बाकी है..।। ©Ananya Rai Parashar
मन का उधड़ा वसन है सिलेगा नहीं फूल उपवन मे कोई खिलेगा नहीं यूँ तो मुझसे भी बेहतर मिलेंगे मगर मेरा पर्याय तुमको मिलेगा नहीं..!! अनन्या राय पराशर
आसमां मिल गया पर जमीं रह गई और पलकों पे थोड़ी नमी रह गई सारी दुनिया मुझे मिल गई है मगर ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गई।। ©Ananya Rai Parashar
चलने की हिम्मत कर रस्ता निकलेगा। बर्फ पिघलने से ही दरिया निकलेगा।। बोलो,देखो,सुनो प्यार से गैरों को। निश्चित ही इसमें से रिश्ता निकलेगा।। अनन्या राय पराशर..💐💐
हर इक आंख नम है भरी है उदासी मेरे रूबरू कुछ अभी है उदासी।। मरासिम है बरसों का हैरानी क्या अब के ऐसा नहीं है नयी है उदासी।। ©अनन्या राय पराशर