जनवरी कविता सुनाती है
दिसम्बर कहानी
✍️AshishMishra
बिखरती बूँद ने बोला
बुलबुले तुम्हारे हुए
खो दिया पानी तुमने
रहो अब हारे हुए
@Ashish Mishra
बीता हुआ हर एक समंदर याद आता है
मुझको मेरा बचपन बराबर याद आता है
©आशीष मिश्रा
कुछ रिश्ते रेशमी दिखे, कुछ रेशम से टूटते।
सस्ते ऐतबार दरकते देखे, संदेहों में छूटते।।
-आशीष
कुछ रिश्ते रेशमी दिखे, कुछ रेशम से टूटते।
सस्ते ऐतबार दरकते देखे, संदेहों में छूटते।।
-आशीष
छींकों से दुनिया डरी-सी हुई है
अशुभ जो कभी थी, बड़ी हो गई है|