हर दिन तेरी यादों से एक याद चुनता हूँ मैं ....
फिर उसके ही इर्द गिर्द ज़िंदगी बुनता हूँ मैं....
रुकसत हुए सब ख्वाबों का काफिला लौट के आया है
आज हमने तुम्हे चाँद और छत को आसमा बनाया है
ख्वाब बैठे महफ़िल सजी सिर्फ तेरा ही जिक्र हुआ
आज फिर अपना घर हमने तेरी यादों से सजाया है|||||||