None
मझधार में हूं और ... साहिल तक जाना है ...
लौट आओ अब , दिल तुम्हे पुकार रहा है , खुद के जज़्बातों से खुद ही हार रहा है , मिलन का मरहम कब लगेगा इन घावों पर , आजकल दिल ही दिल को चोटें मार रहा है ।