ये दुनिया तुमको अपनी कहानी सुनायेगी
पर बस तुम माँ की लोरी याद ऱखना.....
आवाज़ तुम्हारी, कानों में जब हल्के से आ पड़ती है
मन को मंदिर तन को चन्दन पल भर में कर देती है
सुरमय हो कर महक़ तुम्हारी मन को ख़ुब इतराती है
जन्म -जन्म के पुण्य कर्म का लेखा-ज़ोखा दर्शाती है
सुकून और चैन से अच्छा है परेशान हो जाना
ख़ून , पसीना बहा के अपने मुक़ाम को पाना