An Author and A Chef
Share with friendsरक्षाबंधन की शुभकामनाएं भरात भगिनी भरात पाकर धन्य हुआ, सहोदरा का प्यार। रेशम का एक धागा, रोके हर इक वार।। रोके हर इक वार, नहीं जिसका कोय तोड़। हर पग साथ देती, जीवन के हर इक मोड़।। कहे अनुज संदीप, भगिनी देव तुल्य अनन्य। स्नेह जान जोत से,भरात जग में हुआ धन्य।।
दीदी हम बड़े क्यों हो जाते हैं तुझसे जुदा हो के सब छूट गया तेरे परिवार मेरा परिवार में सब टूट गया। _संदीप सिंधवाल
दीदी लोग मां की ही गाथा गाते हैं सच है, पर मेरी दीदी उस से बढ़ के तू साथ थी मेरे पास सब था। _संदीप सिंधवाल