गुरु एक विशाल वृक्ष है
जिसकी छत्र छाया में
कई नन्हे पौधे
अपना भविष्य बनाते हैं।
सुबह का समय ऊर्जावान,
दिन गतिमान, शाम फलदाई
और रात शांतिदाई होती है।
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं
भरात भगिनी
भरात पाकर धन्य हुआ, सहोदरा का प्यार।
रेशम का एक धागा, रोके हर इक वार।।
रोके हर इक वार, नहीं जिसका कोय तोड़।
हर पग साथ देती, जीवन के हर इक मोड़।।
कहे अनुज संदीप, भगिनी देव तुल्य अनन्य।
स्नेह जान जोत से,भरात जग में हुआ धन्य।।
रक्षाबंधन त्यौहार वो, देता है जो उमंग।
अपनों के मेल भाव से, चलती है प्रेम तरंग।।
संदीप सिंधवाल
जब बड़ी बहन साथ चलती थी
किसी की क्या मजाल
जो मेरी तरफ घूर कर भी देखे।
_संदीप सिंधवाल
बचपन के उस साहस को देखा
जब मेरी दीदी भिड़ जाती
बड़ों बड़ों से मुझे बचाने को।
_संदीप सिंधवाल
दीदी
हम बड़े क्यों हो जाते हैं
तुझसे जुदा हो के सब छूट गया
तेरे परिवार मेरा परिवार में सब टूट गया।
_संदीप सिंधवाल
दीदी
लोग मां की ही गाथा गाते हैं
सच है, पर मेरी दीदी उस से बढ़ के
तू साथ थी मेरे पास सब था।
_संदीप सिंधवाल
दीदी
हद तो तब थी जब हर बात
मुझसे ले के तू अपने सर लेती थी
बापू की पिटाई से मुझे बचाने को
_संदीप सिंधवाल