Vibha Pathak
Literary Captain
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किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है।।

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चाय के कुल्हड़ ने देखे हैं यहां बकैती के किस्से बेवजह मशहूर है यहां हर बनारसी के किस्से और मुरारी जैसा रख रहा हूं ख़ुद को, क्योंकि हमने भी सुना है जोया और कुंदन के किस्से।। इतनी इल्तज़ा है संभाल ख़ुद को क्योंकि सिर्फ़ किताबों में मशहूर है ये मुहब्बत के किस्से।।vibha Pathak

चाय के कुल्हड़ ने देखे हैं यहां बकैती के किस्से बेवजह मशहूर है यहां हर बनारसी के किस्से और मुरारी जैसा रख रहा हूं ख़ुद को, क्योंकि हमने भी सुना है जोया और कुंदन के किस्से।। इतनी इल्तज़ा है संभाल ख़ुद को क्योंकि सिर्फ़ किताबों में मशहूर है ये मुहब्बत के किस्से।।vibha Pathak

नन्हें नन्हें कदमों से जब चलती है बेटियां कुछ की हवस जागती है ये समझती नहीं बेटियां सूरज ढलने से पहले घर की चौखट बंद कर दी जाती है, फ़िर भी ना जाने क्यूं कोसी जाती है बेटियां।। ज़रा सी स्ट्रिप दिखने से चरित्रहीन कहलाती है अरे बंद घूंघटो में भी तो लूटी जाती है बेटियां।। Vibha Pathak

इश्क़ ए बनारस में अस्सी घाट हो चला हूं मुर्दों को मोक्ष देने मणिकर्णिका श्मशान हो चला हूं।। मुहब्बत ए दौर में भी इश्क़ का सलीका न आया मेरे मालिक देख मैं अब काशी हो चला हूं।।


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