कविता एवं अध्ययन कार्य
इक दिन , इक हसीना कह गई, इक क्या हो तुम,तो हम उनसें कह गऐ ,जो ख्वाब आप अब जीते है ,वो हमनें अपने रस में उतारा है। ...राहुल