Bharti gupta
Literary Colonel
19
Posts
12
Followers
1
Following

Bharti

Share with friends
Earned badges
See all

अपने अंधेरों से निकलकर देखो .सामने रोशन जहान और भी हैं मन से कड़वाहटों को हटा कर देखो ,सामने मोहब्बतों के मकाम और भी हैं।..

जो आज तक बीता है। वो मेरी जिन्दगी का हिस्सा है । जो कुछ अंधेरों ,कुछ उजालों मैं बटा है । अंधेरों को कैद कर रोशनी दिखा दी है उजालों से कल के लिए एक और सीढ़ी बना ली है

जहाँ तक और जब तक तुम्हारी आवाज् मुझ तक पहुचें, मुझे पुकार लेना । मैं गुजरा वक्त नहीं ।जो लौट कर ना आ सकूँ। क्या पता वही एक लम्हा मेरी जिन्दगी का यादगार लम्हा हो ।

वो एक यादगार लम्हा था बार बार लौट आता है ।

पेट की भूख मिटाने का ,वायदा तो ऊपरवाले ने हर प्राणी से किया है ,पर आदमी तो हवस मिटाने के लिए ही भटकता रहता है

अपनी निगाहों की हदों से पूछा मैंने .धरती और आकाश के बीच देखा, क्या क्या सुन्दर है उसने कहा, परमात्मा ..वही तो है

किस्मत का उछाला सिक्का कब तक हवा मैं गोते लगाता जमीन पर तो गिरना ही था, चाहे चित्त या पट्ट बाजी तो खेलनी ही पड़ेगी , राह कैसी भी सही हारना भी एक सफर है जीतना भी एक सफर

समय स्वयं चुन लेता है उन प्रतिभाओं को जो अपनी ही ज्योति से अंर्तज्वलित हैं जो जलते हैं वही तो चमकते हैं सदा , इसलिये चांद तो कई होते हैं पर, सूर्य अकेला ही ......।।

वो मुस्कराहटो ,खिलखिलाहटों , और ठहाकों का दौर था जब तुम कोई और थीं और मैं कोई और था ।..।।।


Feed

Library

Write

Notification
Profile