वक्त गुज़र तो जाता है, मगर तस्वीर या फ़िल्म में कैद करने फिर से जिया जा सकता है...
सीरत ख़ूबसूरत हो, तो सूरत ख़ूबसूरत हो ही जाती है!
A thing of beauty is NOT a joy forever...
उम्र तो एक संख्या है, जितनी बढ़ती है, उतनी समृद्ध होती है...
ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई चीज़ होती रहे और उसमें कोई परिवर्तन न हो. कोई भी चीज़ शाश्वत नहीं है...
बग़ावत करें भी तो किससे,
सभी तो अपने हैं....
परिवार ही शक्ति है! जितना समय दोगे परिवार को, उतना ही बढ़ेगा लगाव, फ़लोगे, फ़ूलोगे, होगे लाजवाब!
दिन यूँ फिसल रहे हैं, जैसे उँगलियों के बीच से पानी....
- इवान बूनिन के उपन्यास "गाँव" से