Pranav Prakash
Literary Captain
AUTHOR OF THE YEAR 2020 - NOMINEE

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संसार में सबसे बड़े परमात्मा है उनका अंश हमारी आत्मा है

हमने तुम से सिर्फ इश्क किया, सोचा यही काफी होगा, तुम्हारी बेवफाई सिखा गई, इश्क के लिए इश्क ही काफी नहीं ।

हमने तुम से सिर्फ इश्क किया, सोचा यही काफी होगा, तुम्हारी बेवफाई सिखा गई, इश्क के लिए इश्क ही काफी नहीं ।

हमने तुम से सिर्फ इश्क़ किया, सोचा यही काफी होगा, तेरी बेफवाई सीखा गई, इश्क़ के लिए इश्क़ ही काफी नही ।

न कोई रिश्ता उससे न कोई नाता फिर भी हमेशा मेरा साथ निभाता उनसे है बना मेरा और एक परिवार वो मेरे दोस्त मैं उनका यार

हमे उसे देख समाये न फूले और बीती रात कमल दाल फूले

हमे उसे देख समाये न फूले और बीती रात कमल दाल फूले

भले ही एक और एक ग्यारह होते होंगे मगर एक मैं और एक तू एक ही होंगे

मैं अपने सपने लेकर दूसरे शहर आया, आकर यहाँ खुद को अनजान पाया, एक शख्श ने मुझे राह दिखाया, राह में मैं जब जब लरखराया, मैने हमेशा उसका साथ पाया, बिन कुछ कहे उससे रिश्ता जुड़ गया, मुझे अब ये अनकहा रिश्ता समझ आया ।


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