राष्ट्रीय मंचीय कवयित्री / ग़ज़लकार / गीत कार व एम०के० साहित्य अकादमी पंचकूला (रजि०) हरियाणा की संस्थापिका
Share with friendsमोबाइल हर एक बच्चा यार अब चाहता मोबाइल ये...! वो पेट से ही सीख कर आता मोबाइल ये...! गर छीन ले मां एक पल तूफ़ान वो लाता...! अब छोड़ कर सब खेल बस भाता मोबाइल ये...!! © Dr Pratibha'Mahi' Panchkula
भ्रूण घात से है बड़ा, और नहीं कुछ पाप। देवी हैं सब बेटियाँ, सोचें समझें आप।। © डॉ० प्रतिभा 'माही' पंचकूला
हम तो ख़ुदा के बन्दे हैं, हिफ़ाज़त किया करते हैं। इन्सां है इंसानियत के,लिए ही जिया करते हैं।। © डॉ० प्रतिभा 'माही' पंचकूला
परिवर्तन ******* एक नज़ारा देख चुके तुम कैसा कहर मचाया है एक देश की बात करें क्या जग पूरा घबराया है बचना है तो करो साधना महाकाल कालेश्वर की परिवर्तन की ख़ातिर जिसने अपना चक्र घुमाया है ००० ©डॉ० प्रतिभा 'माही' शिवपिया ०००