I am writer, poet And journalist.. Creative Young Minds think about me
Share with friendsरात जब बेशुमार होती है, अंधेरे से लड़ने की आस होती है... भोर की तब दरकार होती है, एक नई शुरुआत होती है... @ मनीष शुक्ल
हवाएं दुरुस्त हुई ही थी कि ... उनमें नफरत का जहर घुल गया, कॅरोना का कहर कम था जो.. इंसानियत का लबादा उड़ गया... @ मनीष शुक्ल
परिवार होता है अपनों का आधार, समाज का पहला द्वार, आओ मिलकर परिवार बनाएं, राष्ट्र निर्माण की ईंट लगाएं
हर हार गले का ताज होती है रुक गए तो माला तार- तार होती है... झुक गए तो जीत का पैगाम होती है... मनीष शुक्ल