कुछ मुक़द्दर में था ही नही
जो हासिल होगा,
जो लिखा है उससे भागकर कही जा नही सकते।।
सुनो....
तेरे जाने के बाद इश्क़ हुआ नही किसी से
तुम्हे भूलने की कोशिश कई अरसे से जारी है।।
जब भी मुलाक़ातों का ज़िक्र होता है किसी से
मेरे दिल मे तेरा ही ख्याल आता है
और कदम रुक से जाते है
दिल कहता है
अभी तो दिल की मरम्मत हुई
तू फिर से दिल टूटने
की राह पे चल निकला है
रात का सन्नाटा बता रहा है
दिन के उजाले में कितना शोर है
शायर की कलम से
ज़िन्दगी के हर पहलू से वाकिफ हु तेरे
अपनी दास्ताँ सुनाकर
मुझे बहलाने की कोशिश न कर
दिन गुजर कर खत्म हो रहा है
रात का सन्नाटा गुजर कर खत्म हो रहा
धीरे धीरे उम्र का हर एक पड़ाव खत्म हो रहा
बस एक तेरी यादों का सफर नही खत्म हो रहा
लापरवाह हूँ खुद की आदतों का
मुझे किसी का मशवरा मंजूर नही।
तन्हाई अब तो रिहाई दे
थक गया हूँ तेरे
इन इम्तिहानों से
सहम जाते है जब भी तेरा नाम मोहब्ब्त में शामिल होता है,
क्या तुम वही हो जो वफ़ा किया करते थे