बाजारों की चकाचौंध में हमें...
बुलाती है किताबें,
जिंदगी की हर कश्मकश का हल...
बताती है किताबें।
हम इतने संवेदनशील हैं कि,
किसी की मन की बातें भी सुन पा रहे है।
और कोई इतने बहरे है कि,
हमारा चिल्लाना भी नहीं सुन पा रहे है।।
ठंडी हवाओं संग सुंदर नजारों में बहती हूँ,
शुक्र है मैं किसी बड़े शहर में नहीं रहती हूँ। पूनम
कुछ लोग थे नसीहत जैसे..
कुछ लोग थे जैसे कोई सबक,
बेमतलन न था किसी का आना जाना,
सबके थे अपने सबब।
वक़्त के जख्म बहुत हैं,
पर सिकन हो नहीं।
निकल पड़े जब सफर में ,
तो थकन हो नहीं।