@saahitykaar-sibbuu

साहित्यकार सिब्बू
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आपका जीवन भी एक नाटक है वह नाटक तभी लिखा जाएगा तभी समाज तक पहुंचेगा जब आप जीतने का अभिनय करेंगे।

आपका जीवन भी एक नाटक है वह नाटक तभी लिखा जाएगा तभी समाज तक पहुंचेगा जब आप जीतने का अभिनय करेंगे।

युद्ध के लिए शरीर का बल उतना कारगर नहीं है जितना कि बुद्धि का

प्रेम की परिभाषा ; प्रेम एक अपरिभाषित आवश्यकता हैं, जिसके बिना मानव और मानवता दोनों का हीं कोई अर्थ नहीं हैं:- साहित्यकार सिब्बू


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