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आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

आश्ना गोश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

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कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

ख़्वाहाँ तिरे हर रंग में ऐ यार हमीं थे

ख़्वाहाँ तिरे हर रंग में ऐ यार हमीं थे

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

आइना-ख़ाना करेंगे दिल-ए-नाकाम को हम

आइना-ख़ाना करेंगे दिल-ए-नाकाम को हम

ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से

ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

दिल बहुत तंग रहा करता है...

दिल बहुत तंग रहा करता है

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

जब के रुस्वा हुए इंकार है सच बात में क्या

जब के रुस्वा हुए इंकार है सच बात में क्या

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए !!!

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए !!!

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

काम हिम्मत से जवाँ मर्द अगर लेता है...

काम हिम्मत से जवाँ मर्द अगर लेता है

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा...

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया...

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

दोस्त दुश्मन ने किए क़त्ल के सामाँ क्या क्या...

दोस्त दुश्मन ने किए क़त्ल के सामाँ क्या क्या

दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं...

दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई...

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मालूम....

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मालूम

पीरी से मिरा नौ दिगर-हाल हुआ है....

पीरी से मिरा नौ दिगर-हाल हुआ है

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल ....

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल

ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम...

ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ...!!!

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ...!!!

ज़िंदे वही हैं जो कि हैं तुम पर मरे हुए !!!

ज़िंदे वही हैं जो कि हैं तुम पर मरे हुए !!!

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया !!!

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया !!!

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़...

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़...

तसव्वुर से किसी के मैं ने की है गुफ़्तुगू बरसों...

तसव्वुर से किसी के मैं ने की है गुफ़्तुगू बरसों

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है !!!

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी...

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी...

तिरी ज़ुल्फ़ों ने बल खाया तो होता...

तिरी ज़ुल्फ़ों ने बल खाया तो होता...

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है !!!

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है !!!

हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है...

हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है...

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला...

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला...

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा ....

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा .

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए....

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए....

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है...

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है...

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके...

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम...

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम...

तोड़ कर तार-ए-निगह का सिलसिला जाता रहा...

तोड़ कर तार-ए-निगह का सिलसिला जाता रहा...

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था...

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था...

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए !!!

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए !!!

हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का...

हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का...

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया!

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया!

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था...

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था...

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है...

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या?

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या!

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते!

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे...

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो...

दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो !

तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं...

तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं.

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया...

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया...