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यूंही नही...

यूंही नही कोई शायर बन जाता है! हजारों दर्द का मालिक बनना पड़ता है । सारे दर्द कागज पे बिखरते है! और बेदर्द चहेरे के साथ सजना पड़ता है।

By Bhumi Ladumor
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