“
यूं हीं कभी बिना वजह रूठ लेती हूं...
यूं हीं कभी ज़िद्दी भी हो जाती हूं...
यूं हीं कभी साथ चलते चलते लड़खड़ा जाती हूं...
यूं हीं कभी नखरे हज़ार कर लेती हूं...
क्यूंकि... जानती हूं...
यूं हीं बेवजह तुम नखरे मेरे बार बार झेल लेते हो...
यूं हीं बेवजह तुम मुस्कुराहटें भी ले आते हो...
यूं हीं बेवजह तुम सब संभाल लेते हो...
”