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ये प्रकृति...

ये प्रकृति ना जाने कितनी बार मनुष्य को उसकी गलती के लिए क्षमा करती है किंतु मनुष्य अपनी गलतियों से कोई सीख नहीं लेते और अपनी उन्हीं फिर गलतियों को दोहराते है।। मिली साहा

By मिली साहा
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