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ये हरित...

ये हरित विस्तृत विस्तार फैलता सा ये नील नभ का आकार ढापता सा और जब चिड़िया चहचहाए मुझे लगे प्रक्रिति का हर अंग बोलता सा ।

By usha shamindra
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