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" ये हरगिज़...

" ये हरगिज़ ज़रुरी नहीं कि एक की सुबह किसी दूसरे की भी सुबह हो, कभी-कभी एक व्यक्ति के जीवन की सुबह, एक दूसरे व्यक्ति के जीवन की शाम भी हो सकती है । " - शैली

By Shaili Srivastava
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