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व्यर्थ...

व्यर्थ विवाद, हृदय की व्यथा का विस्तार करता है.... परन्तु व्यर्थ मौन नि:संदेह जीवनभर के पश्चाताप का कारण बनता है। उचित समय की प्रतिक्षा करने के स्थान पर, समय को उचित बनाने का प्रयास करना चाहिए। नियति के भरोसे से नहीं, नियत पर भरोसा करने से लक्ष्य की प्राप्ति होती है। -✍️ देवश्री पारीक 'अर्पिता

By DEVSHREE PAREEK
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