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वो...
वो दोस्त ,, वो...
वो दोस्त ,,...
“
वो दोस्त ,, वो मेरे प्यारे कहाँ गये,
वो हसीन सपने ,, न्यारे कहाँ गये।
माना तरक्की की चाह थी लेकिन,
वो कसमें वो वादें सारे कहाँ गये ।।
@रूपेश श्रीवास्तव "काफ़िर"
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