“
उसे भुलाना अच्छा है जिसने पग-पग पर धोखा दिया,
मोहब्बत तो कभी की ही नहीं सिर्फ अपनेपन का दिखावा किया,
बीच सफर में छोड़ दिया उस वक्त जब सबसे अधिक उसकी जरूरत थी,
बीच मझधार में छोड़कर वो मोहब्बत की कश्ती डुबा गया,
भूल जाना अच्छा है उन वादों,कसमो, ख्वाबों को जो कभी सच्चा था ही नहीं,
यादों में बसा कर क्या करें उसे जिसने केवल छलावा किया।
मिली साहा
”