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" तुम...

" तुम पक्षियों को दाना देकर व पशुओं को चारा- दाना व नौकर व सेवक को भोजन देकर यह अभिमान न करो कि हम ही इनका भरण-पोषण करते हैं बल्कि यह उनकी अपने ऊपर कृपा समझो कि आपके हाथ से दिए हुए को यह ग्रहण करते हैं और तुम्हारी सेवा करते हैं।"

By Neeraj pal
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