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तपस्या अगर माता पार्वती की थी तो प्रतीक्षा भगवान शिव की भी थी, आंखों में आंसू माता सीता के थे तो मिलने की तड़प भगवान राम की भी थी , राधा और मीरा श्रीकृष्ण की ना हो सकी तो भगवान श्रीकृष्ण भी उनके बिना अधूरे ही थे | प्रेम तो ईश्वर के लिए भी सरल नहीं था तो फिर इंसानों के लिए सरल कैसे हो सकता!
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