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स्वयं...

स्वयं स्वीकारा तमस को, रौशनी को त्याग पल में . कौन फिर से हेर पाया, बुव गया जो भूमितल में. किन्तु दृढ़ संकल्प उसका, आज बरगद बन खड़ा है. पन्थिकों को मोहती है . सांवली छाया घनेरी . अच्युतं केशवम एटा

By अच्युतं केशवं
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