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सारे धाम,...

सारे धाम, सारे तीर्थ, सारे ईश्वरीय मिलन के अनुभव केवल भीतर ही भीतर हैं। जो अपने स्वयं के भीतर गया, समझो उसने सब पा लिया, उसका बेड़ा पार हो गया। भावार्थ यह है उसकी चेतना के विभिन्न आयामों में विकास के सभी द्वार दरवाजे पूरी संभावनाओं के साथ खुल जाते हैं। सभी को ऊपर ऊपर से देखने में यह उल्टा सा या विरोधाभासी सा तो लगेगा पर यही शत प्रतिशत शत सत्य है।

By Kishan Dutt Sharma
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