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प्यार का...

प्यार का रंग चढ़ता गया जैसे सुहाग की मेहंदी हो। दूर कैसे जाऊं मैं, जब हर सांस तुझसे ही बंधी हो। नाम मे क्या रखा है जब हम दो ही हो जहां में, तू मेरा बंदा है और मैं तेरी बंदी हो। शर्माजीकेशब्द

By प्रवीन शर्मा
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