“
प्रियतम तुझमे जीना ऐसा,
तुझको पाने जैसा है,
प्रेम मगन फिर मन भी
फिर राधे कृष्णा जैसा है,
मन से मन का आलिंगन,
जब प्रिय प्रियतम का होता हैं,
प्रेम मगन फिर तो कह कण भी,
झूम झूम कर कहता हैं,
प्रेम में जीना, प्रेम में खोना,
बस यही तो इबादत हैं,
कभी खोना,कभी रोना,
बस प्रेमी की आदत हैं।।
अरुणिमा बहादुर खरे
”