“
प्रिय शिक्षक,
मेरे पास ऐसा कोई शब्द नहीं जिनके माध्यम से,
मैं आपके प्रति अपने भाव लिख सकूँ,
पर हाँ! मैं मानती हूँ कि,
आप उस पारसमणि समान हैं,
जो स्वयं भले ही पत्थर की हो,
लेकिन उसके छू लेने मात्र से हर वस्तु ख़रा सोना बन जाती है।
आपने मुझे भी हुनर और ज्ञान का वही ख़रा सोना बना दिया,
इसके लिये आपको नमन .......🙏
अंकिता भदौरिया
”