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पिघल चुके...

पिघल चुके हो गर्मी से तो बहते क्यों नही, दिल मे रखे सामने हो, सामना करते क्यों नही। मरे जा रहे हो उन पर, क्या मर कर ही मानोगे, बागी दिल होने से पहले उनसे कहते क्यों नही। #शर्माजी के शब्द

By प्रवीन शर्मा
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