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फूलों की...

फूलों की सेज पे सुलाती हमको और खुद कांटों पर सो जाती है प्रेम का सागर बहता जिसके हृदय में वो ममतामई त्याग की मूरत मां होती है मिली साहा

By मिली साहा
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