STORYMIRROR

पैसों की...

पैसों की खनखनाहट सुनकर दौड़ चला मैं बस उसके पीछे, एहसास ना हुआ कब रास्ते अलग हुए एक ही आसमां के नीचे, पैसों को रोशनी समझ अंधेरों की बाहों में निरंतर समाता गया, एक-एक कर हर रिश्ते से अपनी ज़िंदगी से दूर होता चला गया। मिली साहा

By मिली साहा
 43


More hindi quote from मिली साहा
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments
0 Likes   0 Comments