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ना जाने...

ना जाने कितने ही रंग दिखाती है, हमें यह ज़िन्दगी, कभी उलझाती है कभी तो समझाती है यह ज़िंदगी, हर रंग में जीना सीख लो हर रंग खुद में होता खास, समझ सको तो समझो वरना ज़िंदगी लगेगी बेस्वाद। मिली साहा

By मिली साहा
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