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मुक्तक- ज...

मुक्तक- जब तक थे माँ-बाप तो,मैं था मालामाल। उनके जाने से हुआ , दीन – हीन कंगाल। गाँव छोड़, आया शहर, बेचा खेत मकान, बिना रूह के जिस्म को,रखता कौन संभाल।। डाॅ बिपिन पाण्डेय

By डाॅ. बिपिन पाण्डेय
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