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मित्रता...

मित्रता नींव है मोहब्बत की दो दिलों के भावों की रसधार है मन निर्मल सोच गंगाजल और विश्वास पावन मैत्री की आधार है राधा की मैत्री में प्रेम है तो मीरा और कैवर्त्त की मैत्री में भक्ति सुदामा की मैत्री में शुचि है तो श्रीराम की मैत्री में शक्ति।

By Mahendra Kumar Pradhan
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