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मिल जाए जो...

मिल जाए जो थोड़ा वक्त अगर तो ढूंढना चाहूंगी मैं वो डगर जिस पे चलकर ऐसी मंजिल मिले जहां ना हो कोई नफरतों का शहर ना जात पात ना धर्म की चले हवा बस इंसानियत का हो हर एक दर। मिली साहा

By मिली साहा
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