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मांँ समान...

मांँ समान है पृथ्वी कितना हमें कुछ देती है, उपकार के बदले कभी कुछ नहीं मांगती है, पृथ्वी की रक्षा करना है सदैव हमारा कर्तव्य, मन से त्याग दो इसे दूषित करने का मंतव्य। मिली साहा

By मिली साहा
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